Album Name : Earth Day Celebration
Description : ईश क्षेत्रज्ञ- वसुंधरा ईश्वर की आत्मा- पृथ्वी! है चक्रधारी की रचना चक्राकारी आकार में, समायी है संपूर्ण सृष्टि उसमें, जैसे है समन्वित कौमुदी नभ के उस चांद में। है वह वर्तुल आकार लिए, विधाता से वर पाकर है जन-जन को जीवनदान दिए । प्राणदायिनी अचलालय कहलाती यह वसुंधरा..!! अष्ट ग्रहों की है यह राज्ञी, नीलिमा द्युति से पहचानी जाती । थल पर इसके हरी धरा, मस्तक ऊपर आकाश सजा ॥ नभ पर इसके उड़ते नभचर, झरने भी झरते हैं देखो। इन्हें देखकर महि मुस्काती, महि मुस्काती खिल-खिल जाती ॥ प्राणदायिनी अचलालय मुस्कराती यह वसुंधरा..!! स्वर्णिम द्युति लिए सवेरा नभ पर जब भी आता है, पृथ्वी को नई आशाएं- नई अभिलाषाएं दे जाता । अब उन उधर्व अभिलाषाओं की ओर प्रथम पग बढ़ाना है, अब तक हमें वसुधा ने पाला है, अब हमें क्षिति को क्षतिग्रस्त होने से बचाना है जिससे...... प्राणदायिनी अचलालय खिलखिलाए यह वसुंधरा..!! है सहेजना पृथ्वी को रखना इसे सुरक्षित है। अब तक थें अचला के बालक हम, अब धरती को माँ हमें बनाना है ॥ अब तो अपने कृत्यों से धरती पर स्वर्ग भी लाना है । स्मरण रहे कृत्य हो ऐसे की हरी भरी होकर झूमे वसुंधरा, ऊर्मि में लिपटकर झूमे गगन धरा ताकि...... प्राणदायिनी अचलालय प्रफुल्लित हो जाए यह वसुंधरा..!! आस्था संगम पाण्डेय "स्वर्णिम "

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